Friday, September 11, 2020

सहाबा ए इकराम र"ज़"अ मेयारे इमान हैं हज़रात सहाबा ए इकराम र"ज़"अ को मुनाफिक कहने वाले खुद ही मुनाफिक है!

सहाबा ए इकराम र"ज़"अ मेयारे इमान हैं हज़रात सहाबा ए इकराम र"ज़"अ को मुनाफिक कहने वाले खुद ही मुनाफिक है! 

मरकज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद के जेरे एहतमाम मुनअकिद ऑनलाइन अजमते सहाबा कॉन्फ्रेंस से मौलाना अब्दुल अलीम फारुकी और मौलाना अब्दुल बारी फारुकी का खिताब!


बेंगलोर, 9 सितंबर (एम.टी.आई.एह): मरकज तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद के जेरे एहतमाम मुनअकिद 15 रोजा अज़ीमुश्शान ऑनलाइन अजमत ए सहाबा कॉन्फ्रेंस से मुल्क के मशहूर वह मारूफ अकाबिर उलमा खिताब कर रहे हैं। कॉन्फ्रेंस की पहली नशिस्त से खीताब करते हुए मजलिस तहफ्फुजे नामुसे सहाबा अल हिंद के सदर और जमीयत उलेमा ए हिंद के नायब सदर जानशीन इमाम अहले सुन्नत मौलाना अब्दुल अलीम साहब फारूकी ने फरमाया के कुरान व हदीस की रू से यह बात साबित है कि अल्लाह के नबी स"अ"व खातमुन्नबिय्यिन हैं, आप के बाद कोई नबी नहीं आएगा और आप स"अ"व मासूम हैं। और हज़राते सहाबा ए इकराम (र"ज़"अ) आप (स"अ"व) की ख़त्म ए नूबुव्वत की दलील हैं और गैर मासूम लेकिन महफूज़ हैं। अल्लाह तबारक व तआला ने कु़रआन पाक में जगह-जगह सहाबा ए इकराम रजियल्लाहु अनहुम की तारीफ फरमाई और रजियल्लाहहु अन्ह कहकर अपनी रजा़मंदी का इज़हार फरमाया और जन्नत की बशारत दी। मौलाना ने फरमाया कि अल्लाह तआला कु़रआन पाक का मुहाफिज़ है लेकिन कुरआन पाक की हिफाजत का जरिया सहाबा ए इकराम हैं। हजराते सहाबा इशाअते  कु़रआन व इशाअते दीन की बुनियाद हैं। हजराते सहाबा मेयार ए ईमान हैं। सारी दुनिया तालिबे जन्नत है और सहाबा मतलूब ए जन्नत हैं। कोई सहाबी मुनाफिक़ नहीं हो सकता और जो मुनाफिक है वह सहाबी नहीं हो सकता। लिहाजा हजराते ए सहाबा इकराम को मुनाफिक़ कहने वाले खुद ही मुनाफिक है।


अजमते सहाबा र"ज़"अ कॉन्फ्रेंस की दूसरी नशिस्त से खिताब करते हुवे दारुलमुबल्लीगीन लखनऊ के उस्ताद मौलाना अब्दुल बारी साहब फारुकी ने फरमाया के हालात के पैशे नजर अजमत ए सहाबा पर बोलना, अजमत ए सहाबा को फैलाना बहुत जरूरी है। उन्होंने फरमाया के हजरात अंबिया अलेयहीमुस्सलाम के बाद सबसे अफजल जमात हजरात सहाबा इकराम की जमात है। मौलाना ने फरमाया के सहाबा इकराम के जरिए उम्मत को ईमान मिला सिराते मुस्तकीम पर चलने की तोफिक हुई है। उन्होंने फरमाया के जिन लोगों के दिल सहाबा इकराम की अजमत व फजीलत और व बरतरी से मेले हैं दरअसल उनका दिल इस्लाम से मैला है, उनका दिल कुरान व हदीस से मैला है। काबिले ज़िक्र हेकी मरकज तहफ्फुज ए इस्लाम हिंद के जेरे एहतमाम मुनअकिद अज़ीमुश्शान ऑनलाइन अजमते सहाबा कॉन्फ्रेंस को मुल्क वह दूसरे मुल्क के हजारों लोग मरकज के ऑफिशल युटुब चैनल तहफ्फुज इस्लामी मीडिया सर्विस पर रात 9:30 बजे बराहे रास्त देख और सुन रहे हैं। इत्तिलाआत के मुताबिक 10 सितंबर को कॉन्फ्रेंस की तीसरी नशिस्त से मुहद्दीस दारुल उलूम देवबंद हजरत मौलाना मुफ्ती राशिद आज़मी साहब और 12 सितंबर चौथी नशित से बेंगलुरु सिटी जमा मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद इमरान साहब रशादी खीताब करेंगे।


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