Wednesday, September 16, 2020

सहाबा-ए-इकराम पर ज़बान दराज़ी करना इस्लाम से बूगज़ की अलामत है: मुफ्ती राशिद आज़मी

 सहाबा-ए-इकराम पर ज़बान दराज़ी करना इस्लाम से बूगज़ की अलामत है: मुफ्ती राशिद आज़मी




मरकज़ तहफ्फूज़ इस्लाम हिंद के ऑनलाइन अज़्मत-ए-सहाबा कॉन्फ्रेंस से मुफ्ती राशिद आज़मी और मौलाना मकसूद इमरान रशादी का ख़ीताब!


बेंगलोर, 13 सितंबर (एम.टी.आई.एह): मरकज़ तहफ्फुज़-ए-इस्लाम हिंद के ज़ेरे एहतमाम मुनअकीद अज़ीमुश्शान ऑनलाइन अज़्मत ए सहाबा रज़ीयल्लाह अनहूम कॉन्फ्रेंस की तीसरी नशिस्त से खिताब करते हुए दारुल उलूम देवबंद के उस्ताज़ ए हदीस हज़रत मौलाना मुफ्ती राशिद आज़मी साहब ने फरमाया कि सहाबा ए इकराम रज़ीयल्लाह अनहूम की अज़्मत व फज़ीलत को समझने के लिए बस इतनी ही बात काफी है कि क़ुरआन पाक में अल्लाह तआला ने जगह जगह बड़े ही वजद आफ़रीं अंदाज़ में सहाबा इकराम का तज़्किरा किया है और सारे सहाबा से जन्नत का वादा फरमाया। और सहाबा के ईमान को मैयारी बताया। मौलाना ने फरमाया के सहाबा इकराम इस्लाम का दरवाज़ा है और हज़रात सहाबा की अदालत कुरान से साबित है। उन्होंने फरमाया के मक्का मुकर्रमा के हालात बहुत ज़्यादा खराब होने के बावजूद सहाबा ए इकराम ने क़दम क़दम पर अल्लाह के नबी का हर एतबार से साथ दिया और जो तकलीफें पेश आई उनको खंदा पेशानी से बर्दाश्त किया। लिहाज़ा सहाबा इकराम अज़ीम हस्तियां है और उनकी कुर्बानियां भी अज़ीम हैं। मुफ्ती राशिद आज़मी ने दो टूक फरमाया के जो सहाबा पर ज़बान दराज़ी करता है। उसको इस्लाम से बूगज़ है और सहाबा पर वही तनकीद करते हैं जिनके दिल में इस्लाम से नफरत होती है। निज़ जो सहाबा ए इकराम को मुनाफिक कहता है उसने अल्लाह को अल्लाह के रसूल को और कुरान व हदीस को समझा ही नहीं। और कुरान व हदीस की हकिकी  तालीमातसे वह कोसों दूर है। मौलाना ने फरमाया के जो हज़रात अमीरे मुआवीय "र"ज़"अ की शान में गुस्ताखी करता है वह दूसरे सहाबा की भी गुस्ताखी करेगा। किसी सहाबी पर तनकीद करना गोया के अल्लाह के नबी स"अ"व पर तनकीद करना है। 


अजमत ए सहाबा रज़ीयल्लाह अनहूम  कॉन्फ्रेंस की चोथी नशिस्त से खीताब करते हुए बेंगलुरु सिटी मस्जिद के इमाम व खतीब मौलाना मकसूद इमरान रशादी ने फरमाया के हजरात ए सहाबा इकराम से अल्लाह खुश है और सहाबा अल्लाह तआला से खुश हैं। उन्होंने फरमाया के अल्लाह ताला ने नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के ज़रीए सहाबा को जन्नत की खुशखबरी सुनाई है। मौलाना ने फरमाया के हज़रात सहाबा ऐसी अजीब हस्तियां है जिनकी तरबियत खुद अल्लाह के नबी स"अ"व ने फरमाई है। इसलिए हम तमाम मुसलमानों को सहाबा इकराम की जिंदगी के मुताबिक जिंदगी गुजारना चाहिए सहाबा इकराम की जिंदगी हमारे लिए आइडियल व नमूना है। लिहाज़ा सहाबा की जिंदगी को छोड़कर जिंदगी गुजारना बर्बादी है। काबिले ज़िक्र हैंकी मरकज तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद का ये अज़ीमुश्शान 15 रोज़ा ऑनलाइन अज़्मते सहाबा कॉन्फ्रेंस पूरे ज़ोर व शोर के साथ जारी व सारी है। प्रोग्राम रोज़ाना रात 9:30 बजे मरकज़ के ऑफिशल युटुब चैनल और फेसबुक पेज मरकज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम मीडिया सर्विस पर नशर किया जाता है। इत्तिलाआत केमुताबिक 14 सितंबर को मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के रुकन मौलाना अबू तालिब रहमानी, 15 सितंबर को जानशिन हबीबुल उम्मत मौलाना डॉक्टर फारूक आज़म  क़ासमी, 16 सितंबर को मुनाज़ीरे इस्लाम मौलाना अब्दुल अहद कासमी, 17 सितंबर को मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना उमरेन महफूज़ रहमानी, 18 सितंबर को दारुल उलूम देवबंद के रुकने शुरा मौलाना मुफ्ती शफीक साहब कासमी, 19 सितंबर को शैख तरीकत मौलाना तलहा कासमी नक्शबंदी मद्दजिल्लहुम वगेरह के खिताबात होंगे!

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