{ अकाबिर का पैग़ाम - 21 }
🎯 सिरत उन-नबी ﷺ की रोशनी में हर दौर में इंकलाब बरपा किया जा सकता है...!
✍️ हज़रत मौलाना मुफ्ती इफ्तिखार अहमद क़ासमी साहब द.ब
( सरपरस्त मर्कज तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद व सदर जमीअत उलमा-ए-कर्नाटक )
________जब इंसानियत पस्ती की इंतिहा को पहुंच चुकी थी, हर तरफ समाजी व मआशरती बदनज़मि और मआशी व इक्तसादी बेचैनी थी, अखलाकि़ गिरावट रोज़ अफज़ॉ थी, मज़ीद बुत परस्ती उरूज पर थी, शदीद तरीन नफरतों, इंतक़ामी जज़्बात, इंतिहा पसंदाना खयालात, लाकानूनियत, सूदखोरी, शराब नोशी, खुदा फरामोशी, ऐश परस्ती व अय्याशी, माल व वज़र की हवस, संग दिली और सफाकी व बेरहमी से पूरा आलम मुतासिर था, और हर तरफ ज़ुल्म व सितम के बादल छाए हुए थे, ऐसे दौर-ए-जाहिलियत में अल्लाह तबारक व ताला ने हजरत मोहम्मद ﷺ को रहमतुल-लील-आलमीन बनाकर मबऊस फरमाया। आप ﷺ ने क़ुरानी तालीमात व नबवि हिदायात के ज़रिए दुनिया को बदला, अरब व अजम में इंकलाब बरपा किया, अदल व इंसाफ़ को परवान चढ़ाया, हुक़ूक़ की अदाइगी के जज़्बों को उभारा, एहतरामे इंसानियत की तालीम दी, क़त्ल व गारत गिरी से इंसानों को रोका, औरतों को मक़ाम व मर्तबा अता किया, गुलामों को इज़्ज़त से नवाज़ा, रब से टूटे हुए रिश्तो को जोड़ा, और मुआशरे को सुधार, नबी अकरम ﷺ ने यह हैरत-अंगेज़ कारनामे सिर्फ 23 साला मुख्तसर मुद्दत में अंजाम दिया। 23 साला दौर में आप ﷺ ने सारी इंसानियत की फला व इस्लाह और कामयाबी का एक ऐसा नक्शा दुनिया के सामने पेश किया कि उसकी रोशनी में हर दौर में इंकलाब बरपा किया जा सकता है, और इस्लाह व तरबीयत का काम अंजाम दिया जा सकता है, और यही सिरत-उन-नबी ﷺ का इंकलाबी पैग़ाम है_______
( मर्कज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद के जेरे एहतमाम 20 अक्टूबर 2021 को मुनअकिद "अज़ीमुश्शान सीरत-उन-नबी ﷺ कॉन्फ्रेंस" की आठवीं नशिस्त से सदारती खीताब )
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