Thursday, August 13, 2020

अकाबीर का पैगाम - 03

 

🎯सिर्फ बाबरी मस्जिद ही नहीं यह पूरा चमन नगमाये तोहिद से मामुर होगी!

✍️मफ़क्किरे इस्लाम हज़रत मौलाना वली रहमानी साहब
(जनरल सेक्रेटरी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड)

___हालात चाहे जीतने खराब हो हमें हौसला नहीं हारना चाहिए और अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए। मुखालिफ हालात में जीने का मिजाज बनाना चाहिए। हालात हमेशा एक जैसे नहीं रहते हैं। अल्लाह ताला कुरान मजीद में फर्माता है
"यह तो जमाने के नशीब व फराज़ हैं (दुनिया कि ऊंच नीच) जिनमें हम लोगों के दरमियान गर्दिश देते रहते हैं।" लिहाज़ा हमें ना तो मायूस होना है और ना ही हालात के आगे अपना सर झुकाना है। हमारे सामने इस्तांबुल की आया सोफिया मस्जिद की मिसाल इस आयत की मुंह बोलती तस्वीर है। मैं हिंदुस्तान के मुसलमानों से अपील करता हूं कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले और मस्जिद की जमीन पर मंदिर की तामीर से हरगिज़ भी गमजदा ना हो। हमें येभी याद रखना चाहिए कि तोहिद का आलमी मरकज़ और अल्लाह का घर खाना ए काबा को भी एक लम्बे अर्से तक शीर्क व बुत परस्ती का मरकज बना रहा, बिल-आख़िर फतह ए मक्का के बाद प्यारे नबी सल्लल्लाहू अलेयही वसल्लम के जरिए वह दोबारा मरकजे तोहिद बना। इंशा अल्लाह हमें पूरी उम्मीद है कि बाबरी मस्जिद ही नहीं यह पूरा चमन नगमा ए तोहिद से मामूर होगा! हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसे नाजुक मौके पर अपनी गलतियों से तोबा करें, किरदार को सवारे घर और समाज को दिनदार बनाएं और पूरे हौसले के साथ मुखालिफ हालात में आगे बढ़ने का फैसला करें___

🎁पेशकश : शुअबह तहफ्फुज-ए -इस्लाम मीडिया सर्विस, मर्कज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद.

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