🎯 ये चमन माअमुर होगा नगमा ए तौहीद से!
✍️ मुफक्कीरे इसलाम हजरत मौलाना खलीलुर-रहमान सज्जाद नोमानी साहब
____ किसी का कुछ भी मंसूबा रहा हो, अल्लाह का मंसूबा सर जमीन ए हिंद के बारे में कुछ और है,
و مكروا ومكر الله. و الله خير المكرين
अल्लामा इकबाल ने इस मंसूबे की झलकियां रूहानी दुनिया में अपनी रुहानी आंखों से देखी थी। बड़े-बड़े आरिफीन ने कहा है कि इकबाल साहब मुकाम थे, सर जमीन ए हिंद के बारे में जो अल्लाह का मंसूबा है उनके कई अशआर से अंदाजा होता है कि उस की कुछ झलकियां अल्लाह ने उन्हें दिखादी थी वह अशआर यह है:
आसमा होगा सहर के नूर से आइन पोश
और जुल्मत रात की सीमाब पार हो जाएगी
आमिलेंगे सीना चाकान चमन से सीना ए चाक
बज़्म ए गुल की हम नफ़्स बादे सबा हो जाएगी
आंख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं
महव हैरत हूं दुनिया क्या से क्या हो जाएगी
शब गुरीज़ा होगी आख़िर जलवा ए खुर्शिद से
ये चमन माअमुर होगा नगमा ए तौहीद से
यहां के बारे में अल्लाह का मंसूबा कुछ और है। यहां इस्लाम नहीं मिटेगा, यहीं से इस्लाम की जबरदस्त निशाते सानिया होगी। अगर यह अल्लाह का मंसूबा नहीं होता तो अल्फ सानी का मुजद्दीद सर ज़मीने हिंद में ना भेजा गया होता और अब मुझे लगता है अल्लाह के इस मंसूबे की तकमिल की तरफ हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं देखने में तो यह लग रहा है रात का अंधेरा बढ़ रहा है लेकिन हकीकत में सुबह की रोशनी करीब हो रही है। लेकिन उसका दारोमदार इस पर है कि हमारी नियतें ख़ालिस हो,
हम अपने ज़ाती-मफाद को बिल्कुल बाला ए तक रख दें। हमारा सिर्फ एक ही मकसद हो कि मेरा अल्लाह मुझसे राजी हो जाए, मेरी मगफिरत कर दे, मुझे निजात अता फरमाये। सिर्फ इसी नियत के साथ और हालात के सही तकजज़ीये और नहीं हिकमते अमली के मुताबिक हम मुश्तरीका इजतिमाई जद्दोजहद में अपनी जान व माल सलाहियतें और वक्त लगाना शुरू करें तो हम उस मुस्तक-बिल की तरफ तेजी से बढ़ेंगे जिसकी तरफ मैंने अभी इशारा किया और बजाहिर इसके रास्ते अब खुल चुके हैं____
🎁 पेशकश : शुअबह तहफ्फुज-ए -इस्लाम मीडिया सर्विस, मर्कज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद
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