🎯 सहाबा-ए-इकराम की शान में गुस्ताख़ी ना काबिले कुबूल!
✍️ हज़रत मौलाना मुफ्ती इफ्तेखार अहमद साहब कासमी (द.ब)
(सदर जमीअत उलेमा-ए-कर्नाटक)
________सहाबा-ए-इकराम रजियल्लाह अन्हूम अजमइन की जमात वो मुकद्दस जमात है जिनको अल्लाह तबारक व तआला ने अपनी रजा का परवाना कुरान मजीद के जरिए अता किया और जन्नत की बशारत दी, कुरान मजीद की कई आयतें सहाबा-ए-इकराम की शान में नाजिल हुई है। लिहाज़ा उम्मत-ए-मुस्लिमा बिलखुसुस हमारे इस मुल्क में सोशल मीडिया के जरिए सहाबा-ए-इकराम की जमाअत पर से ऐतमाद ख़त्म करने की जो कोशिशें और साजिशें हो रही है उन पर कान ना धरे। सहाबा-ए-इकराम हमारे मज़हब की बुनियाद हैं, इन्हीं के ज़रिए दीन हम तक पहुंचा है। किसी सहाबी की शान में गुस्ताखी या गुस्साखाना अल्फाज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। क्योंकि सहाबा इकराम रजियल्लाह अन्हूम अजमइन दिन की बुनियाद हैं, अगर दिन की बुनियाद को हिला दिया जाए, उसे मजरूह कर दिया जाए, उसे डैमेज यानी नुकसान पहुंचा दिया जाए तो फिर दिन कहां बाकी रहेगा? अगर कोई सहाबा-ए-इकराम रजियल्लाह अन्हूम अजमइन या उन में से किसी एक कि ज़ात को भी मजरूह करने कि कोशिश करें उन पर काइम ऐतमाद को ढेस पहुंचाने की कोशिश करें तो उलमा-ए-हक़ की ये ज़िम्मेदारी बनती हैकी वो मैदान में आएं और अहकाक-ए-हक़ का फरिजा अंजाम दें_______
(इक्तबास अज़ बयान ब उनवान "ऑनलाइन मदहे सहाबा कॉन्फ्रेंस* 2 सितम्बर 2020)
🎁पेशकश : शुअबह तहफ्फुज-ए -इस्लाम मीडिया सर्विस, मर्कज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद
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