Thursday, September 17, 2020

सहाबा-ए-इकराम (र"ज़"अ) की गुस्ताख़ी बत्तरिन अमल है, बुग्ज़ सहाबा दर हकीकत बुग्ज़ रसूल है!

 


सहाबा-ए-इकराम (र"ज़"अ) की गुस्ताख़ी बत्तरिन अमल है, बुग्ज़ सहाबा दर हकीकत बुग्ज़ रसूल है!

मर्कज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद के ऑनलाइन अज्मते सहाबा (र"ज़"अ) कॉन्फ्रेंस से मौलाना अबू तालिब रहमानी और मौलाना फारुक हिब्बान का खिताब!


बैंगलोर, 16/ सितमबर (एम.टी.अई.एज) : मर्कज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद कि जेरे एहतमाम मुनअकिद ऑनलाइन अजमत ए सहाबा (र"ज़"अ) कॉन्फ्रेंस की पांचवीं नशिस्त से खिताब करते हुए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रूकन हज़रत मौलाना अबू तालिब रहमानी साहब ने फरमाया कि हम नबी ए करीम (स"अ"व) के ज़माने से बहुत दूर हो चुके हैं जिसकी वजह से एक के बाद एक फितने उभर रहे हैं। गोया के हम पूरी तरह फितनों के दौर में आचुके है। इन फित्नों में से एक फित्ना ख़त्म ए नुबुब्बत (स"अ"व) और नामूस ए सहाबा (र"ज़"अ) पर डाका डालना है। मौलाना ने फरमाया कि अल्लाह के नबी (स"अ"व) आखिरी नबी व रसूल है, आपके बाद कयामत तक कोई नबी व रसूल होने का दावा करे तो वो एक नंबर का झूठा व मक्कार है और इसी तरह आप (स"अ"व) के सहाबा की जमाअत भी आखिरी जमाअत है। नबी ए करीम (स"अ"व) पर नुब्बुवत ख़त्म और सहाबा (रिज़वानुल्लाह अलैयहिम अजमईन) पर सहाबियत ख़त्म है। उन्होंने फरमाया कि अंबिया के बाद पूरी उम्मत में सबसे अफजल सहाबा ए इकराम की जमाअत है। मौलाना रहमानी ने वाज़ह अल्फाज में फरमाया के पूरी दुनिया के अवलिया, क़ुतुब, अब्दाल सब मिलकर भी किसी एक सहाबी के मकाम को नहीं पहुंच सकते इसलिए हम तमाम को सहाबा ए इकराम (रिज़वानुल्लाह अलैयहिम अजमईन) की कदर करनी चाहिए, उनका अदब व अहतराम करना चाहिए। क्योंकि उन से मोहब्बत हुब्ब ए नबीवी (स"अ"व) की दलील है और उनसे बुग्ज़ व नफरत नबी से बुग्ज व अदावत के मुकाबिल है। 


अज़्मते सहाबा (र"ज़"अ) कॉन्फ्रेंस की छटविं नशिस्त से खिताब करते हुए जानशीन ए हबीबुल उम्मत हज़रत मौलाना डॉक्टर हकीम फारुकी आज़म हिबान क़ासमी साहब ने फरमाया कि हजरात ए सहाबा (र"ज़"अ) दीन के सुतुन है। हजरत ए सहाबा इस्लाम की अजमत के मीनार हैं। उन्होंने फरमाया हजरात ए सहाबा की तस्दिक कुरान पाक ने की है और हजरात ए सहाबा वह है जिन्होंने अल्लाह के नबी की सूरत और सीरत को देखा और मुकम्मल तौर पर आपकी सूरत पर अमल किया। मौलाना ने फरमाया कि हज़रात ए सहाबा की सारी खूबीया नबी ए करीम ( स"अ"व) ही का फेज़ है। इसलिए सहाबा इकराम की गुस्ताखी करना अकलमंद ही नहीं बल्कि बद-अकली की अलामत है। लिहाजा हजरात ए सहाबा से मोहब्बत करें, उनकी इज्ज़त करें और अदब व एहतराम को मल्हुज़ रखें। काबिले ज़िक्र है कि मर्कज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद का 15/ रोज़ा ऑनलाइन अजमत सहाबा (र"ज़"अ) कॉन्फ्रेंस को रोज़ाना 9:30 बजे मर्कज के ऑफिशल युटुब चैनल और फेसबुक पेज तहफ्फुज-ए-इस्लाम मीडिया सर्विस पर दुनिया भर से हजारों अफराद देख और सुन रहे। हैं कॉन्फ्रेंस से मुल्क के मशहूर व मारूफ अकाबिर उलमा ए इकराम खिताब कर रहे हैं। मरकज के ऑर्गेनाजर्स हाफिज हयात खान ने एक बार फिर पूरी उम्मते मुस्लिमा को इस अजीमुशशान कॉन्फ्रेंस में शिरकत की अपील की है।

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