{ अकाबिर का पैग़ाम - 19 }
🎯 मदारिस की बक़ा व तहफ्फुज़ के लिए कमर बस्ता होना होगा...!
✍️ अमीरूल हिंद हज़रत मौलाना सय्यद अरशद मदनी साहब दामत बरकतुहुम
(सदरूल मुदर्रीसीन दारूल उलूम देवबंद व सदर जमीयत उलमा-ए-हिंद )
_____दीनी मदारिस फिर्का परस्तों की आंखों के कांटे हैं, इसलिए हमें उनकी निय्यतों को समझना चाहिए। निजाम को दुरुस्त करने की बात अपनी जगह है, लेकिन हमें अपने मदारिस की बक़ा व तहफ्फुज़ के लिए कमर बस्ता होना होगा। हमने हमेशा कोशिश की है कि अमन व अमान के साथ हमारे दीनी इदारों को चलने दिया जाए, मगर फिर्का परस्त हमारे वजूद को खत्म करने की तमन्ना रखते हैं, जिसे हम हरगिज नहीं होने देंगे। मदारीसे इस्लामिया का वजूद मुल्क की मुखालिफत के लिए नहीं बल्कि मुल्क के लिए है, उसका डेढ़ सौ साला किरदार गवाह है कि यहां से हमेशा मुल्क की तामीर का काम हुआ है______
(06 सितंबर 2022 को जमीयत उलमा-ए-हिंद के सदर दफ्तर नई दिल्ली में ''तहफ्फुज मदारिस'' के उनवान से मुनअकिद एक अहम इजलास से खिताब)
🎁पेशकश : शुअबह तहफ्फुज-ए -इस्लाम मीडिया सर्विस, मर्कज़ तहफ्फुज-ए-इस्लाम हिंद
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